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झंडा ऊँचा रहे….

Sincerely yours..
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मेरे मोबाइल के व्हाट्सऐप में अस्सी कॉन्टेक्ट्स हैं. जिसमे से लगभग साठ लोगों ने अपनी प्रोफाइल की फोटो में आजकल तिरंगा झंडा लगा रखा है, फेसबुक पर जाने का कई दिनों से मौका नहीं मिला लेकिन जानती हूँ कि वहां भी कमोबेश यही हाल होगा….15 अगस्त आने वाला है न.. …मैं सच बताऊँ, आप लोग बुरा न मानें, मुझे ये एक अजीब तरह का ढोंग लगता है..15 अगस्त या छब्बीस जनवरी आने को हो तो तिरंगा लगा लो..दीपावली में दीपक लगा लो, होली में पिचकारी लगा लो, दशहरे में रावण लगा लो, नागपंचमी में नाग लगा लो…क्या मज़ाक है..मैं सोचती हूँ लोगो को रात में चिंता के मारे नींद नहीं आती होगी की कल कौन सी प्रोफाइल पिक्चर लगानी है..
सोचिये , क्या तिरंगे झंडे की फोटो भर लगा लेने से देश के प्रति सारी ज़िम्मेदारी ख़त्म हो जाती है..आज से कुछ साल पहले जब मोबाइल में सिर्फ टेक्स्ट मैसेज आया करते थे तब अक्सर 15 अगस्त को मेरे पास तिरंगे झंडे का रेखाचित्र बना हुआ sms आता था और नीचे लिखा रहता था,,,”हैप्पी रिपब्लिक डे “..
कहना न होगा कि आठ महीने पहले 26 जनवरी को आया हुआ sms लोग बिना एडिट किये हुए जल्दबाज़ी में फॉरवर्ड कर देते थे और देशभक्ति का दिखावा करने का बवाल खत्म..
स्कूलों और सरकारी ऑफिस में झंडारोहण एक अलग बात है..स्कूलों में अपने देश के झंडे का महत्त्व बता कर , गर्व और अभिमान की भावना जगाई जाती है ताकि आगे चल कर देश के प्रति सम्मान , अर्पण और उत्सर्ग की भावना पनपे..कार्यालयों में इस भावना को पोषित किया जाता है..लेकिन फिर भी हम में से बहुत लोग फ्लैग कोड के बारे में ठीक से जानते भी न होंगे.


नेशनल फ्लैग कोड ऑफ़ इंडिया के अनुसार झंडे का माप 150 x 100 मिमी से कम नहीं होना चाहिए ..मोबाइल और फेसबुक की प्रोफाइल पिक्चर में झंडे का साइज कितना होता है ये तो लगाने वाले ने कभी जानने की कोशिश भी नहीं की होती है..


इसी प्रकार, फ्लैग कोड के पार्ट II के section 1 में ,बिंदु 2.1 में साफ साफ लिखा है कि सामान्य जनता झंडे का प्रयोग कर सकती है लेकिन अनुचित या असम्मानजनक व्यवहार करने पर अधिकतम तीन साल की जेल या जुरमाना या दोनों ही हो सकता है..
आगे असम्मानजनक व्यवहार की परिभाषा भी बताई गयी है ..जिसमे राष्ट्रीय प्रतीक को व्यक्तिगत रूप से प्रयोग करना , उसे अपने प्रचार, परिधान या पहचान का हिस्सा बनाना आदि है….
( continue to use, for the purpose of any trade, business, calling or profession, or in the title of any
patent, or in any trade mark of design, any name or emblem specified in the Schedule or any colourable
imitation thereof without the previous permission of the Central Government or of such officer of
Government as may be authorised in this behalf by the Central Government. )
फिर भी आप देखिये कि लोगों ने अपनी अपनी प्रोफाइल पिक्चर को ज़्यादा शानदार बनाने के लिए तिरंगे झंडे के साथ जम कर प्रयोग किये हैं..कहीं तितली के पंखों पर तिरंगे के तीन रंग उकेरे हुए हैं, कहीं शीशे के गिलास में तीन रंग का पानी है (पता नहीं पानी है या कौन सा पेय है…), तो कहीं बहती हवाओं में शामिल तिरंगे के तीन रंगो का एहसास है….वैसे कला की दृष्टि से देखा जाये तो कलाकार यदि इस प्रकार की प्रयोगधर्मिता न अपनाये तो कभी कोई नवप्रवर्तन ही न हो..खुद हमारे फ्लैग कोड के अनुसार तिरंगे में शामिल चक्र का भी यही अर्थ है …


चक्र अर्थात, जीवन की निरन्तरशीलता ही प्रगति का मूल है, रुक जाने पर तो जीवन ही ख़त्म हो जाता है..फिर भी ,जब तिरंगे झंडे को राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में अपनाते समय उसके रंग रूप, डिज़ाइन , प्रयोग और सम्मान के लिए एक आचार संहिता बनायीं गयी है , और उसका उल्लंघन करने पर दंड का प्रावधान है, तो फिर उसके ही साथ प्रयोग करने की क्या ज़िद है…


और तो और इस साल एक नया शोशा छिड़ा हुआ है…
एक दो दिन पहले मुझे व्हाट्सऐप पर एक मैसेज मिला जो इस प्रकार था…
“””मित्रों…..
आजकल आपको एक मैसेज ज़रूर आता होगा जिसमे एक भारत का झंडा आता है और उसको १५ अगस्त तक अपनी प्रोफाइल पिक्चर बनाने के लिए आग्रह किया जाता है..
पर क्या आपने कभी ध्यान दिया है कि उस झंडे में केसरिया रंग की जगह लाल रंग का प्रयोग हुआ है, ..ये फोटो कश्मीरी आतंकवादियों के साइबर हमले का अगला कदम है..इसको उन्होंने ‘मोबोला” नाम दिया है..(मोबाइल अबोला ).. ये फोटो एक स्लीपर सेल की तरह काम करेगी और इसको जब 15 अगस्त को वो आतंकवादी एक्टिवेट करेंगे तब ये आपका सारा निजी डेटा उनको भेज देगी और आपको भनक तक नहीं लगेगी ..इसलिए भारत का झंडा अवश्य लगाएं पर केसरिया रंग वाला और अपने देश को साइबर हमले से बचाएं..
“””….जय भारत जय हिन्द….””’


अब एक नयी कहानी शुरू हो गयी है……


इस मैसेज को पढ़ कर तिरंगे झंडे की प्रोफाइल पिक वाले लोग घबराये हुए हैं..तिरंगा हटा दें तो देशभक्ति खतरे में आ जाती है और जेन्युइन झंडे की विशुद्ध फोटो इतने कम समय में ढूंढ ढांढ कर लगाना काफी कठिन काम है..इतनी बड़ी ज़िम्मेदारी अचानक से सर पे आ गयी.. देश को साइबर हमले से बचाना है..व्हाट्सऐप के ज़रिये देश की सीमा को सुरक्षित करना है….मन में ऐसी ऐसी भावनाएं हिलोरें ले रही हैं की क्या बताया जाये..

ये वही देशभक्त लोग हैं जिनको अगर विदेशों में ज़्यादा सैलरी के पैकेज वाली कोई जॉब मिल रही हो तो घर , खेत बेच के उससे पासपोर्ट, वीज़ा और टिकेट का इंतेज़ाम कर के देश छोड़ के चले जाते हैं..हाँ उनके प्रोफाइल पिक में 15 अगस्त के दिनों में शायद तिरंगा तब भी लगा हुआ मिले..


चलिए कोई बात नहीं ..इंसान भूखा रह कर तो देशभक्ति करेगा नहीं…पेट भरने के लिए विदेश चले जाना तो एक मज़बूरी हो सकती है ..लेकिन तिरंगे की प्रोफाइल पिक लगाने वाले ऐसे भी लोग मिलेंगे जो अगर दस मित्रों के साथ खड़े हों और कोई ग्यारहवां आ कर अंग्रेजी में बोलने लगे तो ये दसों अपनी सारी बात चीत भूल के उस ग्यारहवें आंग्ल भाषी को मुंह फाड़ के देखने लगते हैं , उसके लिए भीड़ में रास्ता बना देते हैं, ट्रेन और बस में बैठने की जगह दे देते हैं और उससे मित्रता बढ़ाने के लिए कुछ भी कर गुजरने को तैयार हो जाते हैं….

वैसे हमारे लिए एक समय पर तिरंगा ओढ़ने की इजाज़त है….
जब हमने राष्ट्र के लिए कोई महान कार्य किया हो , देश की शान और सम्मान की राह में अपना सब कुछ न्योछावर कर के शहादत प्राप्त कर ली हो तो…..


लोगों को शौक होता है कि मैं भी कभी तिरंगा ओढूँ ..लेकिन ..फिर सोचते हैं कि देशभक्ति के लिए आखिर करें तो क्या करें..


सीमा पर जा सकते तो सर कटा देते ,पर वो तो कर नहीं सकते क्योंकि अभी  दूसरे बहुत काम हैं……


.. घर में बिजली का बिल बहुत आता है..इलेक्ट्रीशियन को बुला कर लाइन में कोई लोचा करवाना है ताकि रीडिंग कम हो जाये .
बेटे को एग्जाम में ज्यादा नंबर दिलवाने के लिए कोई सोर्स लगवाना है ताकि नौकरी मिलने में परशानी न हो
..वैसे परेशानी होनी नहीं चाहिए क्योंकि गांव वाले चाचा के साले के पट्टीदार का भांजा सचिवालय में है..मंत्री जी से उसकी बहुत बनती है ..कइयों का उसने बेड़ा पार करवाया है हाँ पर पैसा बहुत देना पड़ेगा…तो तनख्वाह भर से तो काम चलेगा नहीं…थोड़ी ऊपर की कमाई करनी पड़ेगी..

आदि इत्यादि …देश के काम न आ सकने के लिए फुर्सत न मिलने के बहुत से कारण गिनाये जा सकते हैं….

लेकिन सोचने वाली बात है कि देश की सेवा करने के लिए सीमा पर जा कर सर कटाने के सिवा और भी रास्ते हैं.. ..

भारत की असैन्य जनता को सोचना चाहिए कि तिरंगे का सम्मान प्रोफाइल की पिक्चर बनाने से नहीं होता…

जब हमारे भारत देश के नागरिक शिक्षा, तकनीकी, कला या खेल आदि के क्षेत्र में वैश्विक स्तर पर कोई महान उपलब्धि प्राप्त करते हैं और अंतर्राष्ट्रीय पटल पर उनका सम्मान किया जाता है , उस समय बहुत सारे झंडों के बीच में जब भारत के राष्ट्रगान के साथ हमारा तिरंगा शान के साथ सर ऊँचा कर के , झूम के लहराता है , तब उस दृश्य को देख कर समूचे भारतवर्ष के प्रत्येक नागरिक को जो रोमांच होता है, मेरे विचार से यही तिरंगे का वास्तविक सम्मान होता है…


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