Sincerely yours..
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कितने खुदगर्ज़ हैं खुद गर्ज़ है तो आये हैं,
खिंचे खिंचे से थे जो आज खिंचे आये हैं..
मेरे ख्याल से ही मुस्कुरा उठते थे कभी,
मेरे ख्याल से अब एहसान करने आये हैं..
क्या करे चारागर कोई चारा गर नहीं हो तो,
नब्ज़ पकडे से कहीं नब्ज़ पकड़ आये है..
छोड़िये आप भी क्या बात कहा करते हैं,
बेतुके शे’र पे “क्या बात” कहा करते हैं..
ज़िन्दगीनामा है मेरा बशक्ल-ए-दीवान-ए-पागल,
दीवाने पागल ही हैं जो इस को पढने आये हैं…….
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