Menu
blogid : 7725 postid : 625007

इति श्री ब्लॉग शिरोमणि प्रतियोगिता कथा संपूर्णम …

Sincerely yours..
Sincerely yours..
  • 69 Posts
  • 2105 Comments


आप जो काम करें उसका पूरा पूरा क्रेडिट आपको ही मिले ये बिलकुल ज़रूरी नहीं होता..और कभी कभी ऐसा भी होता है कि अपने जी तोड़ मेहनत करके जो काम किया हो उसका ठेका भी दूसरों ने ही ले रखा होता है


अब यही देखिये ..सितम्बर का पूरा महीना “ब्लॉग शिरोमणि प्रतियोगिता “ने खा लिया….समय काफी था तो लगा कि तीन आर्टिकल लिखने में कितना टाइम लगेगा…सो सारे काम होते चले गए….व्रत त्यौहार निभाया , बच्चे को अर्ध वार्षिक परीक्षा दिलवाई..आये गए को निपटाया , फिर एक दिन अचानक ख्याल आया कि ये तो चौदह तारीख हो गयी…सोचा प्रतियोगिता के लिए कुछ लिखना शुरू कर दिया जाये..अब घर वाले तो घर वाले ही हैं..पराये गाँव में सिद्ध कहे जाने वाले जोगी को घर वाले “जोगणा” ही समझते हैं…लिखने बैठो तो आँखों ही आँखों में मखौल सा उड़ाते लगते हैं..ये मेरा अपराध-बोध भी हो सकता है लेकिन ऐसा लगता है कि गृहणी को लिखते देख कर घर वाले ऐसा “लुक” देते हैं मानो गधा गले में पट्टा पहन कर और “टॉमी” नाम रख कर घर की रखवाली कर रहा हो..


खैर जैसे तैसे इन सब मोर्चों को चक्रव्यूह की तरह भेदते हुए , रातों की नींद हराम करके हमने तीन आर्टिकल लिख कर पोस्ट कर दिए..


परिणाम की प्रतीक्षा मुझसे ज्यादा मेरे बारह वर्षीय सुपुत्र अक्षत सिन्हा (जो जे जे के सबसे नन्हे ब्लॉगर भी हैं ) को थी…कल परिणाम देखते ही उनका मुंह लटक कर घुटनों तक पहुँच गया….

कारण यह नहीं था कि उन्हें मेरी लेखन क्षमता पर प्रथम आने का भरोसा था, बल्कि उन्हें यह भ्रम था कि अगर नोकिया आशा 308 मोबाइल कहीं मुझे मिल जाता तो शायद वो मैं उन्हें सप्रेम भेंट कर देती…वो मुझसे बोले …


“अम्मा , आपने अपना मोबाइल ख़राब हो जाने पर जो कविता फेसबुक पर डाली थी वो जे जे पर नहीं डाली थी क्या?? ”
मैं ने कहा ..”नहीं तो.. क्यूँ, क्या हुआ..??”
“उह..तभी तो….अगर आपने जे जे पर भी शेयर कर दिया होता तो जज लोग जान जाते कि आपका मोबाइल ख़राब है और आपको नया मोबाइल मिल जाता…”
मैं ने सोचा कि मैं ने अपने मोबाइल के ख़राब होने पर फेसबुक पर इतनी नौटंकी मचाई थी कि अगर मुझे प्रथम पुरस्कार में मोबाइल मिल भी जाता और मैं खुश होती तो दुनिया मुझे क्या कहती….
चलो जो हुआ अच्छा ही हुआ..


वैसे मेरे दुखी साहबजादे को कुछ और बातों पर भी ऐतराज़ है..
वो रोने रोने को होकर बोले….
“एक तरफ तो ये कहते हैं कि “”क्योंकि यह प्रतियोगिता हिंदी भाषा और साहित्य के संदर्भ में है तो हमें विषयवस्तु के साथ भाषा की त्रुटियां और भाषा शैली का भी ध्यान रखना था। कई ऐसे भी आलेख मिले जिनके आलेख और विषयवस्तु अत्यंत उत्कृष्ट श्रेणी में रखे जा सकते थे किंतु उनमें कुछ मात्रात्मक या शाब्दिक त्रुटियों (जैसे मातृभाषा को ‘मात्रभाषा’, क्योंकि को ‘क्योकि’ आदि) को देखते हुए मजबूरन हम उन्हें विजेता की श्रेणी में शामिल नहीं कर सकते थे। इस तरह अंतिम 30 में से 13 का चुनाव प्रतियोगिता में उल्लेखित शर्तों, भाषा, भाषा शैली, प्रस्तुति, विषय वस्तु एवं शब्दों के प्रयोग, वर्तनी तथा वाक्य-विन्यास व प्रस्तुतिकरण के आधार पर किया गया है। क्योंकि हिंदी की महत्ता एवं हिंदी के महती प्रयोग पर यह प्रतियोगिता केंद्रित थी, इसलिए ‘भाषा शैली एवं भाषा की शुद्धता’ पर हमने विशेष ध्यान दिया है।””

……..और ज़रा दूसरे ब्लॉग पढ़ कर देखिये ….मात्रा की कितनी गलतियाँ हैं…कहीं हुस्न को हुश्न लिखा है कहीं सम्प्रेसन लिखा है कहीं उर्दू ही उर्दू भरी है………आप को नयी मिक्सी ही मिल जाती तो कितना अच्छा होता….”

मैं ने कहा ..”नहीं बेटा वो सब बहुत लाजवाब लिखते हैं कितने ऊँचे ऊँचे पदों पर आसीन दिग्गज लोग हैं . मैं तो इन सब बड़ी बड़ी सागर की मछलियों के बीच कूप मंडूक की तरह हूँ.. फिर छोटी मोती गलतियाँ तो सब से हो ही जाती हैं ..उनको पता चलेगा कि तुम ऐसा बोले तो कितना बुरा लगेगा…”


कुछ मित्रगण मुझे संपादक मंडल को सुझाव देने के लिए कह रहे हैं कि अगली बार वोटिंग से रेटिंग करायी जाये ताकि वो अपनी समूची मित्र मंडली और नाते- रिश्तेदारों की प्रोफाइल बनवा कर और कुछ फेक प्रोफाइल बनवा कर रात रात भर मुझे वोट करते रहें…


खैर वो तो संतुष्ट नहीं हैं लेकिन मुझे तो पहली बार कोई वर्ल्डवाइड पुरस्कार मिला है इसलिए मैं तो जागरण जंक्शन की बहुत शुक्रगुज़ार हूँ… .
घर में तहलका मचा हुआ है..फोन रिसीव कर कर के परेशान हूँ..

सभी पूछते हैं क्या मिला ?? कितना मिला?? अरे छुपाओ मत..!!मेरा हिस्सा भी चाहिए…!!
मैं कहती हूँ….”भैया..डिनर सेट मिलेगा…सब लोग थाली कटोरी जो भी मिले, बाँट लेना…भगवान की कसम , मैं आपने लिए एक चम्मच भी न रखूंगी…आप सब की ख़ुशी में ही मेरी ख़ुशी है…”
लेकिन किसी को विश्वास नहीं है..सभी सोच रहे हैं कि कोई मोटी रकम का चेक मिला होगा जो मैं छुपा रही हूँ ..


अब मैं क्या करूँ….यही कर सकती हूँ कि अगली बार और मेहनत से लिखूंगी .ताकि और भी ऊँचा पुरस्कार मिल जाये ..800 शब्दों की लिमिट न होती तो इसी बार जाने क्या क्या बाँच देती खैर……
और अगर जे जे वालों ने श्रीयुत सद्गुरुजी और श्रीमान सत्यशील अग्रवाल जी के सुझावों पर कान दिया तो शायद कोई चेक वेक भी मिल जाये….
शेष ऊपर वाले की मेहरबानी और आप लोगों की दुआ ……………
हमेशा ऐसे ही सहयोग बनाये रखियेगा…
धन्यवाद….


🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂 🙂

Read Comments

    Post a comment

    Leave a Reply

    Your email address will not be published.

    CAPTCHA
    Refresh