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अब यहाँ कोई नहीं , कोई नहीं आयेगा…

Sincerely yours..
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***************गुड फ्राईडे के अवसर पर विशेष ***************

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मसीहा मर गया कब का लटक के सूली पे ,

कि छूटी जान इस जहाँ के चालबाजों से,

कोई पागल नहीं है वो कि फिर से आयेगा ,

कम अज़ कम कब्र में तो चैन से सोने दो उसे …

मौत के बाद उस की क़द्र की तो एहसान क्या,

जिया जब तक तबाह कर डाला तुम ने उसे.

उसी का हश्र देख मुहम्मद ने कहा “मैं आख़िर हूँ “,

न कूदे गा कोई वली अब तुम्हारे पचड़े में,

अपना बवाल अपने सर पे रखो कमबख्तो,

कि फिर से प्यासा मरने कौन आये तुम्हारी दुनिया में…

कहा तो कृष्ण ने भी था कि “मैं आऊँ गा..”,

धर्म की हानि होगी तब तुम्हे बचाऊँ गा,

बहुत उस्ताद थे जानते थे कहाँ धर्म ही है,

और जो है ही नहीं उस की हानि क्या होगी…

अधर्मी, बेधर्मी, विधर्मी, कुधर्मी हैं हम सब,

कहाँ से लायें धर्म और कहाँ से हानि करें,

हाँ एक खाने का धर्म ही तो रह गया है अब,

यही धरम निभाने में जुटे पड़े हैं सब…

इस का, उस का, पड़ोसी का, चार घर आगे का,

सब का खा लो यही एक धर्म है निभा डालो,

जब इस में हानि करो गे तो कृष्ण आयें गे,

अपने सगों का कैसे खाते हैं , सिखाएं गे…

न छोड़ो सोच कर कि वो तुम्हारा भाई है,

बाप है ,दादा है, या उन सबों का भाई है,

उन की आत्मा का न सोचो चोला कोई बदल लेगी,

जब तक इस चोले में हो ,यहाँ खाओ,

फिर जब दूसरे में घुसना तो उस के मुंह से खाना,

खाते खाते उलट देना, उलट के फिर खाना,

पकडे जाना तो छूट जाने के बाद फिर खाना…

सीता की बेटियां बेफिक्र हैं राम और रावण से,

इस का बेटा है “लव” तो “कुश ” क्या पता उस का हो,

कोई फायदा मिले तो एक विभीषण का भी हो,

जाओ तुम यूँ ही टहल आओ, एक तुम्हारा भी हो…

करो गे क्या यही दुनिया है, इसी में जीना है,

देख पाओ तो देखो वर्ना आंख अपनी फोड़ डालो,

जीना चाहो तो जियो वर्ना कहीं से कूद मरो,

अपने चुल्लू का पानी बचा लो बेशर्मो के लिए…..


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