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आइये कुछ देर के लिए , तनाव को भूलें ….(सुधार सहित..)

Sincerely yours..
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स्नेही मंचवासियों ,

हमारा जीवन क्या है??  बेवजह की भाग दौड़ .. पता नहीं क्या पाने के लिए हम सब दौड़ रहे हैं.  भाग रहे हैं .. कभी भी घर से निकल कर बाहर आइये , आप को कोई भी इन्सान रुका हुआ नहीं मिलेगा … सब चल रहे हैं दौड़ रहे हैं.  भीड़ तो इतनी जैसे घरों में कोई है ही नहीं.  सब के सब सड़क पर… लगता है सब को बहुत कुछ हासिल करना है.  रूपया,  तरक्की,  ओहदा ,  शोहरत …..यही ना ..

और मिलता क्या है ????? थकान , परेशानी , निराशा ,और …..तनाव …..

तनाव के हम इतने आदी हो जाते हैं कि फिर ये कब हमारी ज़िन्दगी का एक हिस्सा बन जाता है ..पता ही नहीं चलता ….

जैसे दीवार पर लगे मकड़ी के जाले..चाहे जितना साफ़ करिए…..फिर हाज़िर …साथ निभाने के लिए ….

हम आप सोचते हैं कि तनाव से छुटकारा दिलाने के लिए बाज़ार में कारगर दवाएं तो उपलब्ध हैं ही. इसी लिए जी भर के , जान बूझ के तनाव को दावत देते रहते है…हाँ दवाएं तो हैं ही, लेकिन एक बीमारी को भगाती हैं तो दूसरी को न्योता देती हैं..

फिर इंसान सोचता है कि काश हम बीता हुआ समय लौटा सकते तो अपनी जीवन शैली सुधार लेते..

अब बीता हुआ समय तो लौट कर आ नहीं सकता लेकिन हम उस से कुछ सीख तो सकते ही हैं.. जैसे कि बीमारियों को दूर करने के लिए हमारे यहाँ प्रचलित देसी, प्रामाणिक इलाज…..

यहाँ मैं आप सब को एक अचूक , अनुभूत तनाव नाशक उपाय बताना चाहती हूँ…जो बेहद कारगर है..नाकाम होने का तो कोई प्रश्न ही नहीं..आप लोग अपने व्यस्त जीवन का थोडा समय दे कर यदि इस प्राकृतिक नुस्खे को आजमायें तो मैं सोचती हूँ कि शायद परेशानियों और तनाव से कोसों दूर रहे गे …

प्राकृतिक चिकित्सा पंचभूत तत्वों के आधार पर काम करती है. इन में से एक है जल चिकित्सा, जिसमें पांच तत्वों में से केवल जल और अग्नि का प्रयोग किया जाता है..

इस के लिए आप को दो बाल्टियों की ज़रूरत होगी…एक में ठंडा और एक में गर्म पानी भर लें..एक ऐसे स्टूल पर बैठिये जिस से आप के पैर घुटने तक पानी में डूब सकें ..एक पैर गरम पानी की बाल्टी में और दूसरा ठन्डे पानी की बाल्टी में डाल लें…शरीर को एक कम्बल में गर्दन तक लपेट लें ताकि उत्पन्न होने वाली उर्जा बाहर न निकल सके…थोड़ी थोड़ी देर के बाद पैरों कि स्थिति को बदलते रहिये यानि कि गरम पानी वाला पैर ठंडी बाल्टी में और ठन्डे पानी वाला पैर गरम बाल्टी में डाल लीजिये , जब तक कि दोनों बाल्टियों के पानी का तापमान बराबर न हो जाये..

इस पूरे प्रयोग के दौरान आप को बोलने की मनाही है ताकि उर्जा का बेवजह ह्रास न हो.

यहाँ पर आप थोडा रंग चिकित्सा भी शामिल कर सकते हैं..जिस तरह स्त्रियाँ पूजा पाठ के समय पैरों में रंग लगाती हैं , वैसा ही रंग यदि पैरों में लगा लिया जाये तो चिकित्सा का प्रभाव बढ़ जाता है..(रंग उद्दीपक का कार्य करता है )

रक्त का प्रवाह सर कि ओर न हो इस के लिए आप को एक गीले टॉवेल से सर को ढकना होगा ..

दोनों बाल्टियों का तापमान बराबर हो जाने के बाद ठन्डे पानी से नहा लीजिये और शरीर को एक बार फिर कम्बल से लपेट लीजिये ताकि तापमान का संतुलन बना रहे…

आइये आप को बताएं कि यह चिकित्सा शरीर क्रिया पर कैसे प्रभाव डालती है…

गरम और ठन्डे पानी के लगातार एकांतरण से रक्त प्रवाह बढ़ता है..जिस से शरीर की क्रियाएं सुचारू ढंग से काम करने लगती हैं..हार्ट बीट संतुलित होती है जिस से ऑक्सिजन की खपत बढती है और co2 बाहर निकलती है…पसीने के साथ शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल जाते हैं…और परिणाम के रूप में आप पाते हैं एक तनाव मुक्त मन मस्तिष्क..

तो फिर मन को हल्का करने के लिए यह प्रयोग करिए ओर फिर मुझे बताइए कि कैसा महसूस हुआ..

🙂 🙂 🙂

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Dtd — 2nd अप्रैल , 2012


परम प्रिय मित्रों,
आप को क्या लगता है मैं यहाँ इस मंच पर कोई बकवास कर सकती हूँ.
आप लोगो में से किसी को मैं ने न तो देखा न कभी मुलाकात हुई , इस का मतलब ये तो नहीं कि मेरी कोई ज़िम्मेदारी ही नहीं है.
मैं ने तनाव से, बिना किसी दवा के , मुक्ति पाने के लिए एक आर्टिकिल लिखा और इत्तेफाक से उस दिन तारीख 1st अप्रैल निकली तो इस का क्या मतलब हुआ?????
क्या आप को लगता है कि मैं कोई खुराफात कर सकती हूँ ????
अब अगर आप को ऐसा लगता है तो बिलकुल ठीक लगता है……:-):-)
दरअसल तारीख का असर ही कुछ ऐसा है कि मुझे थोड़ी बदमाशी सूझ गयी…सॉरी……

लेकिन मुझे आप के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने का कोई हक नहीं है…


उपरोक्त लेख में एक दो बातें मज़ाक हैं ,बाकि बिलकुल सीरियस ….


बस दो बाल्टी की जगह एक ही बाल्टी में गरम पानी रखिये..पैरों में रंग मत लगाइए गा और बोलना चाहे तो बोल सकते हैं….
वास्तव में बहुत आराम मिलेगा….
अगर ऊपर वाला नुस्खा भी आज़माया होता तो और भी आराम मिलता…
अब आप ईमानदारी से बताइए , किसी ने ये प्रयोग आज़माया या नहीं…
वैसे मेरा पहले से कोई ऐसा इरादा नहीं था लेकिन आर्टिकिल पूरा करते करते तारीख बदल गयी तो ……मैं ने सोचा कि थोडा मज़ाक भी कर लिया जाये….
लेकिन मैं ने कोई बेईमानी नही की ….सच बताइए..आप थोड़ी देर के लिए ही सही ……तनाव को भूले या नहीं……..
🙂 🙂 🙂 🙂


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