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१० अक्तूबर,२०११…..
मैं एक नन्ही सी जान हूँ. आप को पता है मेरी आहट से मेरे माँ पापा कितने खुश होते हैं. मुझे सब पता रहता है, जब माँ मेरे बारे में पापा से बातें करती हैं तो उन का चेहरा कितना खिल जाता है. उन दोनों को खुश देख कर मुझे भी बहुत अच्छा लगता है.
१० नवम्बर, २०११…
थोडा पहले जब मुझे ज्यादा समझ नहीं थी, तब भी इतना तो पता चल ही जाता था की मेरी वजह से माँ खुश रहने लगी है, मैं भी तो माँ से “अटैच” हूँ , माँ मुझे खाना खिलाती है, मेरी ज़रुरतो का ख्याल रखती है. लेकिन न जाने क्यूँ आज कल कुछ परेशान सी दिखती है. मेरा दिल तो अभी ठीक से कुछ समझता नहीं है लेकिन दिमाग तो काफी पहले से काम कर रहा है. मुझे सब समझ में आ जाता है. कुछ न कुछ तो ज़रूर है……जिस ने मेरी प्यारी माँ को परेशान कर रखा है…
१० दिसंबर, २०११…
आज तो माँ बहुत खुश नज़र आ रही है, मैं ने सुना वो पापा से मेरी पढाई के बारे में बातें कर रही थी…मुझे भी माँ के सपने पुरे करने हैं..माँ खुश तो मैं भी खुश….
१५ दिसंबर, २०११…
माँ जब दुखी होती है तो मुझे भी काफी कष्ट होता है. ऐसा लगता है जैसे कोई मेरे तन में सुइयां चुभा रहा है, मेरा दम घुटने लगता है. ऐसा नहीं है कि माँ की परेशानी से मुझे कोई फर्क ही नहीं पड़ता ..मेरे भी हाथ पैर ढीले पड़ने लगते हैं…..चाल फीकी हो जाती है…… कोई समझे या न समझे, पर माँ तुरंत समझ जाती है….मेरी एक एक हरकत पर उसका ध्यान जो रहता है….फिर वो मेरे लिए, सिर्फ मेरी खातिर, सारी बातें छोड़ कर मेरी ही चिंता में लग जाती है. खिला पिला कर, हंस हंसा कर, जब तक मुझे नॉर्मल नहीं कर लेती तब तक उसको चैन नहीं मिलता..
१० जनवरी, २०१२…
और पापा………प्यार तो वो भी मुझे बहुत करते हैं, ऐसा मुझे उनकी बातों से एहसास होता है, लेकिन पता नहीं इन दोनों को आज कल क्या हो गया है? जैसे जैसे मेरी उम्र बढ़ रही है, वैसे वैसे दोनों कुछ ज्यादा ही परेशान दिखने लगे हैं. कैसे पता लगाऊं ? कहीं दादी ने तो कुछ नहीं कहा होगा???? कल पापा माँ को बता रहे थे ना तो मैं ने सुना था , लेकिन ठीक से कुछ समझ में नहीं आया. माँ तो उस समय कोई बहुत अच्छी सी किताब पढ़ रही थी, मुझे भी अच्छा लग रहा था , लेकिन पापा की बातों से माँ फिर कुछ परेशान हो गयी….
१२ जनवरी, २०१२…
मुझे चलते हुए देख कर मेरी माँ बहुत खुश होती है. मैं ने देखा है कि मेरा चलना शुरू करते ही माँ बेवजह मुस्कुराने लगती है . अगर पापा कहीं आस पास होते हैं तो उन को भी दिखाती है. वो भी बहुत खुश होते हैं. उन दोनों को हँसते देख कर मुझे भी बहुत अच्छा लगता है. मैं आप को अपने मन की बात बताऊँ……. जब माँ और पापा किसी बात से दुखी हो जाते हैं तो मुझे ऐसा लगता है जैसे मेरी तबियत ख़राब हो रही है.
१७ जनवरी, २०१२…
मैं तो बिलकुल स्वस्थ हूँ. फिर भी न जाने क्यूँ पापा ने माँ से आज मेरा चेक अप कराने को कहा..वो कह रहे थे कि दादी मेरे लिए काफी परेशान हैं . हे भगवान ! मुझे क्षमा करना ! दादी को मेरी कितनी चिंता है. और मैं ने उन के बारे में अनाप शनाप सोचा ..लेकिन माँ फिर परेशान हो गयी..ये क्या माजरा है? कुछ समझ में नहीं आता…
१९ जनवरी , २०१२..
आज मेरा चेक अप हो ही गया..अरे वाह,मैं तो एक लड़की हूँ, ये अभी तक मैं ही जानती थी पर आज सब को पता चल गया..लेकिन यह क्या? सब के चेहरे मुरझाये हुए हैं. और… ज्यादातर खुश रहने वाली मेरी प्यारी माँ फूट -फूट कर रो रही है ..अब मैं क्या करूँ ? अगर मेरे बस में होता तो मैं अपनी नन्ही नन्ही उंगलियों से माँ के आंसू पोछ देती .. लेकिन पापा तो माँ से कह रहे हैं कि उन्हें मुझ को खुद से अलग करना होगा. दादी का कहना है कि उन्हें एक पोता चाहिए .. लेकिन माँ ऐसा थोड़ी होने देगी….. . चार महीने से मुझे खिला पिला कर इतना बड़ा करने वाली माँ क्या मुझे अपने से अलग होने देगी ? उसे पता है कि ऐसा करने से मैं मर जाऊं गी .. मैं पापा और दादी को समझाना चाहती हूँ कि वो मुझे इस दुनिया में आने तो दें . मुझे भी दुनिया की सुन्दरता देखने का शौक है, पढ़ लिख कर मैं भी एक बेटे की ही तरह उन का नाम रोशन कर सकती हूँ . अब तो कोई भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जहा लड़कियों का दखल न हो. मुझे एक मौका तो दीजिये ..
आप क्या सिर्फ इस लिए मुझे दुनिया में आने से रोकें गे क्यूँ कि आप को वारिस चाहिए ?? तो यह बताइए कि आप के वारिस को धरती पर कौन लायेगा ? अगर इसी तरह हर लड़की को धरती पर पैर रखने से रोक दिया गया तो पुरुष क्या बिना कोख के जन्म ले सके गा ???
लेकिन कौन समझाए? उधर तो मुझे माँ से अलग करने की तैयारियां शुरू हो गयी हैं. माँ की यह मर्मान्तक पीड़ा सिर्फ और सिर्फ मैं समझ रही हूँ . मुझे पाने के लिए जो दर्द उसे सहना पड़ता वही दर्द मुझे खोने के लिए भी सहना पड़ेगा..मुझे जन्म देने का दर्द तो वह मूझे गोदी में ले कर भूल जाती लेकिन इस दर्द के बदले क्या मिलेगा?? अगली बार फिर यही ज़िल्लत सहने की आशंका……..बस…..
प्लीज़ पापा, प्लीज़ दादी, एक बार मेरी बात समझ लीजिये . मुझे अपनी दुनिया में आने दीजिये.. माँ ने एक बार अख़बार में पढ़ा था इस लिए मुझे भी पता है और दादी ,आप ने भी तो पढ़ा होगा. “साइना नेहवाल ” के बारे में….उस के पैदा होने पर उस की दादी ने बहुत दिनों तक उसका मुंह नहीं देखा था और आज वही साइना अपनी दादी तो क्या पुरे देश की शान है…..
आह….यह सुई….मैं अपनी चेतना खोती जा रही हूँ..यह बरछी की नोक जैसा कुछ मुझे चुभ रहा है……..मुझे बचा लो माँ…. पर माँ तो खुद ही मौत के मुंह में है.. .ईश्वर!! मैं तो अब नहीं बचूं गी, मेरी माँ को बचा लेना …उसे सारी खुशियाँ देना…और मुझे जल्दी ही एक भाई दे देना ताकि मेरी माँ को यह मर्मान्तक पीड़ा दुबारा न झेलनी पड़े…
अच्छा अब चलती हूँ..यह धरती मेरे बिना भी हरी- भरी रहे और इस में रहने वालो को सदबुध्धि मिले … लोग प्रकृति के साथ खिलवाड़ बंद करें .. मेरी बहनों को प्यार करने वाले माता -पिता और दादी- दादा मिलें …और मेरे भाइयों को जन्म देने के लिए माताएं मिलें… इसी कामना के साथ अब आखिरी सांस लेती हूँ……विदा………..
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