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आप भी कभी न कभी ऐसे वार्तालाप का हिस्सा ज़रूर बने होंगे जब लोग किसी के बारे में कानाफूसी करते हैं कि अमुक व्यक्ति की “लव मैरेज” हुई है, लव मैरेज तो इतनी बड़ी अनहोनी है जिस के बारे में लोग खुले आम बात करना भी गुनाह समझते हैं, अगर कोई ऐसी घटना पता चले तो उसे बच्चो से छुपाया जाता है, कि कही उन पर बुरा असर न पड़े. समझ में नहीं आता कि जब लव बुरा नहीं है, मैरेज बुरी नहीं है तो लव मैरेज बुरी बातो कि श्रेणी में कैसे आ गयी?
एक और सोचने कि बात है कि शादियाँ तो सभी प्यार के बाद ही होती है, जीवन साथी अगर माँ बाप ने ढूंढ़ कर दिया हो तो क्या शादी तय होते ही उस से प्यार नहीं हो जाता है? क्या आप ने कोई ऐसा इंसान भी देखा है जिस की “हेट मैरेज ” हुई हो?
आज कल समय की मांग के अनुसार लड़के लडकियां एक साथ कॉलेज में पढ़ते हैं या ऑफिस में काम करते हैं .यदि उन का मानसिक स्तर आपस में मिलता है और वो जीवन साथी बनने का फैसला लेते हैं तो इस में बुरा क्या है? माता पिता की सहमति और समाज तथा मर्यादा की सीमा में रहते हुए उठाये गए क़दम की तो सराहना करनी चाहिए. सब को पता है कि कानून के अंतर्गत कोई भी वयस्क किसी भी जाति या धर्म में शादी कर सकता है, फिर भी समझदार बच्चे आज कल अपनी राय में अपने माता पिता की ख़ुशी भी शामिल करते हैं, और समझदार माता पिता अपने बच्चो के फैसले की कद्र करते हैं.
कहते हैं कि शादियाँ आसमानों से तय हो कर आती हैं, तो फिर ईश्वर अल्लाह को चैलेन्ज करने वाले हम कौन होते हैं?
माता पिता का फ़र्ज़ इतना ज़रूर है कि वो अपने बच्चो को भले बुरे का ज्ञान कराएं.अनुभव कि कमी कभी कभी गलत फैसले भी करवा सकती है, आपस में सभी बातें अगर इमानदारी के साथ शेयर की जाएँ तो कई दुर्घटनाएं रोकी जा सकती हैं.
इसी सिलसिले में मुझे बीते सितम्बर की एक घटना याद आ रही है. आई आई टी कानपूर से बी टेक तथा आई आई एम् बैंगलोर से एम् बी ए कर चुकी एक मेधावी छात्रा ने सिर्फ इस लिए ख़ुदकुशी कर ली क्यूँ कि उस के प्रेमी ने उसे ठुकरा दिया था और facebook के ज़रिये ब्रेक अप का सन्देश भेजा था. उस दिन अखबार में यह पढने के बाद मुझे लगा कि मैं अगर अपने बच्चो के साथ उन्ही की वजह से facebook पर हूँ तो कुछ गलत नहीं कर रही हूँ, हालांकि अक्सर मुझे इस के लिए भी लोगो से व्यंग सुनना पड़ता है, पर मैं जानती हूँ कि मैं ऐसा क्यूँ करती हूँ.बच्चो कि फ्रेंड लिस्ट में होने के कारण मुझे उनके सारे क्रियाकलाप पता चलते रहते हैं साथ ही उनको भी एहसास रहता है कि उनकी हर हरकत पर उनकी माँ की नज़र है.
फिर भी….बात तो वहीँ अटकी है कि लव मैरेज बुरी है या भली ?? जो भी हो मैं तो खुले आम कहती हूँ कि मेरी तो “लव मैरेज” है. अगर आपकी “हेट मैरेज” हो तो बताइए गा ……..
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