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“भंवर में भंवरी”

Sincerely yours..
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फँसी भंवर में भंवरी देवी,
अमर चंद न रख पाया मान,
कोटि देवो का साक्षी बंधन,
दस लाख में हुआ नीलाम,
द्वापर युग हो या हो कलयुग,
पांचाली हो या भंवरी,
पुरुष आजमाते हैं शक्ति,
दांव पे लगती है नारी,
उम्र जाति रिश्ता जो भी हो,
लुटती तो बस है नारी,
सबके सर बद्नज़र का खंजर,
शिष्या बेटी या बहना,
अब कब होगी धर्म की हानि,
अब कब आयें गे कृष्णा????

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