Sincerely yours..
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हम तो बादल हैं, बरसते हैं चले जाते हैं,
गीली मिटटी की सोंधी खुशबु में,
याद बन कर के समा जाते हैं,
तुम को छूता है जो एक भीगी हवा का झोंका,
अपनी सरगोशी का एहसास दिला जाते हैं,
देखना सूख चले गी जब खेतों की नमी,
चाक धरती नहीं वो मेरा सीना होगा,
आयें गे हम फिर दूर उफ़क के घर से,
ख़ुशी बांटी है तो जिंदा भी उसे रखना होगा…….
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